म्हारी शेरा वाली मैया, सिँह.....
इंद्र घटा छाई घणीस रे,देख्यां आनन्द आवे
निज मन्दिर म आप विराजो,दर्शण घणा सुहावे जी
ब्रम्हाणी दुर्गा,सिँह.....
नागीणा में नाइकास रे,कलकत्ते में काळी
अहमदाबाद में भद्रकालिका,भक्तन की रखवाली जी
म्हारी शेरावाली मैया......
सब भक्तों की विनती सरे,सुण ल्यो अरज हमारी
हाथ जोड़ विनती करूँ सरे, चरण कमल बलिहारी जी
ब्रम्हाणी दुर्गा........
ब्रम्ह रूप व्यापक भई सरे,रोम रोम में तारे
जिन पर महर करे नवदुर्गा, भव सागर सें तारे जी
नवकोटि दुर्गा....
Aakhir Kyon
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नव कोटि दुर्गा,सिँह धडुक
Pauranik Kathayenthanks for articals