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आस माता की कहानी


                                       श्री                  
                                                              
एक साहूकार हो।बिंक सात बेटा हा।छ बेटा तो कमाऊ हा, सातवूं बेटो कीं कमातो कोनी हो।चेत महीना आस चौथ को बरत आयो।सगली देराणी जिठानी मिल आस माता की पूजा करबा बैठी। बडोडी बहु कच सुत मोती की माला बणार पेरी ही ।छोटकी बहू बेटो हो बो गोदी हालो हो।बो खेलतो खेलतो जार बडिया की मोती की माला खींच तोड़ दी।सारा मोती बिखर गया।जणा जिठानी बिन गाली काडबा लाग गई,ठालया, भूल्या, ठिठकारया,म्हारी सवा लाख की मोती की माला तोड़ दी।देराणी भोत खराब लाग्यो।बा आपके धणी कियो,थे कीं कमाओ पताओ कोनी, जणा आज थार लुगाई टाबरां की कीं कदर कोनी।आज भाभीजी मोत्यां की माला लार आपण बेटा गाली काढ़ि। अणकमाऊ की कदर कोनी हुव।थे भी  आस माता की शरण लेर कठ ही बार परदेस कमाण खातिर जाओ।जद बो साहूकार को बेटो आस माता की शरण लेर घर हु निकल ग्यो।जाती टेम बीरी लुगाइ बीरी चोटी एक मादलियो बांध दियो सेनाण खातिर।
जातां जातां रस्ता भूख मिली जणा बो बोल्यो भूख को मारयो तो निकलयो हु।थोड़ो आगे गयो जणा तिस मिली।बो पूछ थे कुंण हो,जणा बा बोली तिस हु।जद बो बोल्यो भूख तिस को मारयो तो निकलयो हु।थान हाथ जोड़ूँ।आगे चाल्यो तो नींद मिली,बिन भी हाथ जोड़ दिया।कि नींद को मारयो ही निकलयो हु।आगे पछ चौथमाता मिल्या जणा बो बोल्यो हे आस माता थार शरण ही आयो हु।थे ही म्हारी आसा पूरो।आस माता बोली,फलांनी फलांनी नगरी नयो राजा थरपीजी।तूँ बठ चल्यो जा।साहूकार को बेटो बी नगर गयो, बी नगरी को राजा मरग्यो हो।नयो राजा बणावण खातिर हथनी की सुंड माला दे दी ।हथनी सब जगह घूम घाम कर बी साहूकार के बेटा गला माला पिरा दी।जद सब कोई बोल्या,हथनी चूक गयी।साहूकार के बेटा सबसे पीछे खड़ो कर दियो।हथनी घूमती घूमती जार पाछी बिंक गला ही माला पिरा दी।सब जणा बीरी हालत देखर बोल हथनी फेर चूक गी।जणा साहूकार के बेटा गढ़ स्यूं बार निकाल दियो,दरवाजा बंद कर दीया।पर हथनी तो घूमती घूमती दरवाजो तोड़ जार साहूकार गला माला पिरा दी।जणा सब जणा बिन राजा थरप दियो।राजा बणिया पछ बो मजूरी का दाम ज्यादा देणं लाग ग्यो।सब भोत खुश रहण् लाग्या।अठीन बिंक घरां अन्नदाता बेर पडग्यो। सब बोल्या एक नगरी नयो राजा बण्यो है, बो मजूरी कम करवावे,दाम ज्यादा देव।आपां भी बठ ही चालो।सब परिवार के सागे बिंकि लुगाई भी चाली।जद महल कन पहुँच्या बो देख समझ ग्यो,म्हारो सारो परिवार आयो है।जणा आपके आदमी केर सबन बढ़िया बढ़िया काम पर रखवा दियो।बाप बहीखाता को काम, माँ सेवा पूजा को, भोजाया रसोडा को भायां भी ऊंचो ऊंचो काम सोंप दियो।आपकी लुगाई शरीर की मालिस को काम दियो।अब बा भोत डर,पराया पुरुष के तेल किंया लगाऊं।जणा बिंकि सासु बोली राजा को हुक्म है ,लगानु तो पड़सी।बा तेल लगाने गयी,राजा के भेष बिन पिछाणी कोनी।माथा तेल लगाती टाइम मादलियो देख आंख स्यूं आंसू गिर ग्यो।राजा पूछ कांई बात है।क्यों रोव।जद बा बोली म्हार घर हाला माथा भी मादलियो बँधेडो है।बे पतो कोनी कठ है।ई वास्त आंसू आय ग्यो।बो बोल्यो बावली , ही थार घर हालो हूँ।पछ सारी बात बताई किंया आस माता टूठि।बा सबन जार सारी बात बताव।सब बहुत राजी हुया।थोड़ा दिन बाद आस माता को बरत आयो,बा बोली मन अजूनो करणु है।गाज बाज स्यूं आस माता की पूजा करण चाल्या।कहानी केवन बैठ्या बा काच सुत मोती की माला बणार पेरी ।जेठानी के बेटो छोटो हो।बो खेलतो खेलतो जार माला खींच तोड़ दी।जिठानी गाली काडबा लागी छोरा न।जद बा बोली खम्मा भाभीजी खम्मा,माला तो फेर पूवा लेस्यां, बेटो कठ स्यूं ल्यास्यां।जद जिठानी आपकी गलती याद ज्याव।बा उठ देराणी पगां पढ़बा लागि।जद देराणी बोली भाभीजी,उल्टी गंगा कोनी बेव,थे लागो आस माता के पांव,मैं लागूं थार पांव।मने तो आस माता टूठि है।हे आस माता ,बिन टूथी बीसी सबन टूठि।घटी है तो पूरी करी, पूरी है तो परवाण चढ़ाई।बोलिये आस माता की जय।




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