बचपन की है सखी सहेली ,कभी संग में खाई खेली
बरसों बाद आज मिलने की
पावन मंगल घड़ियां आई
आज सुहानी बेला आई
बचपन में सब साथ खेलते ,कभी रुठते कभी झगड़ते
फ़िर सब मिल मनुहार भी करते ,यादों की वो लड़ियां लाई
आज सुहानी बेला आई
चिरमी,गड्ढा,पीछे छूट गये ,जीवन पथ पर आगे बढ़ गये
नये नये रिस्तों में बंध गये ,उत्तरदायित्वों में उलझकर
बचपन के रिस्ते पीछे छूट गये
पर,यादों में थी तरूणाई
आज सुहानी बेला आई
ज़िंदगी गोल-गोल घूमती है,सुना था
पर,
ऐसें मिल जायेंगे,कहां पता था
आज ख़ुशी की कलियां खिली है ,बालपने की सखियां मिली है
ज़िन्दगी ऐसा मोड़ है लाई, एक दूजे को देते बधाई
आज सुहानी बेला आई
प्रिय सहेली विजयलक्ष्मी गग्गड़ के बेंगलोर आगमन पर सभी सहेलियों की तरफ़ सें भाव भरी भेंट
अनसूईया सारड़ा, श्री कान्ता बजाज, गायत्री मालपाणी,पुष्पा राठी
दिनांक 12 दिसम्बर 2023
मंगलवार, बेंगलोर
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