दोड़ा जाये रे,समय का घोड़ा
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इक दिन बीता खेल कूद में,इक दिन जी भर सोया
देख बुढ़ापा आया तो फिर,पकड़ के लाठी रोया
अब भी राम सुमिर ले नहीं तो,
पड़ेगा काल हथोड़ा,दोड़ा जाये रे.....
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# अमृतमय है नाम हरि का,तूं अमृतमय बन जा
मन में ज्योत जला ले बस तूं,हरि के रंग में रंग जा
डोर जीवन की सोंप हरि को
नहीं पड़ेगा फोड़ा,दोड़ा जाये रे......
# क्या लाया, क्या ले जायेगा, क्या पाया, क्या खोया
वैसा ही फ़ल मिले यहां,जैसा तूंने है बोया
काल शिश पर बैठा इसने
किसी को नां है छोड़ा,दोड़ा जाये रे.....
# मन के कहे जो चलते हैं वो, दुःख ही दुःख पाते हैं
माया के वश में जो है वो,घोर नरक जाते हैं
जो भी अजर,अमर बनते थे
उनका भ्रम भी तोड़ा,दोड़ा जाये रे......
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