दोहा_
लोगां सुण सुण बांझड़ा, दुःखी हुया अजमाल
पड्या जल द्वारिका,पहुंच्या ठेठ पाताल
धरती रो कागज बण्यो और संमदर बणी दवात
लिखने वाली मां शारदा, फिर भी लिख्यो नां जाय
धरां पिछम सूं म्हारा देव जी पधारिया
कुं कुं रा पगल्या मांड्या आंगणिया ,अजमाल जी रा कंवरां
खम्मा खम्मा ओ म्हारा रूणिचा रा धणिया
थांन तो ध्याव सारो मारवाड़ ओ,आखो गुजरात ओ
अजमाल जी रा.......
सिर पे किलंगी सोहे,केसरिया है जामों
भक्तां री भीड़ आवे,बाबो पीर रामो
किंण सूं छुप्या है थारा नामा,कामा
अजमाल जी........
बालपणे में कोडियां रा,कोड मिटाया
न्यारा न्यारा रोगीयां रा रोग मिटाया
आंधलिया और पांगलिया न मारगियो दिखाया
परचा दिया ओ मालक नित नित रा
अजमाल जी.......
दोहा_
धरती धूजी,डूंगर कांप्या,फैल्या अत्याचार
भेरूड़ो राक्षस उठ्यो,तो मचग्यो हाहाकार
घरहालां न छोड़िया और,सगला काम बिसारिया
भेरुड़ा नं मारण री, प्रतिज्ञा कर चालीया
बालानाथ जी री कुटिया मं पहुंच्या
अजमाल जी रा......
दोहा _
गुदड़ी लाम्बी हो गई,ज्यों बड्यो द्रोपदी चीर
खेंच खेंच राकस थक्यो,मन मं हुयो अधीर
राकसड़ो घबराय कर,गुदड़ी रो पल्लो छोडियो
पूंछड़ी दबाय पापी,दड़बड़ दड़बड़ दोड़ियो
लारे लारे बाबा रामदेव दोड़िया
अजमाल जी रा.....
दोहा _
भेरुंड़ा न पकड़ पछाड़्यो, चढ़ बेठ्या छाती पर
महाकाल ज्यों चढ़ काल पर, सिंह चढ़ हाथी पर
पांच पीर मक्का सूं आया, रामदेव री परख करे
रामदेव भोजन रो पूछियो,तो पिरां भोजन नांहीं करे
म्हे म्हारा बर्तन मक्का मं भूल्याया,थांरे बर्तन मं नहीं खांवां
जद बोल्या बाबा रामदेव जी,म्है थांरा बर्तन मंगवांवा
माफ़ करिज्यो देवां म्हांने,यूं बोल्या पांचूं पीर
म्है तो खाली पीर हां,थे पिरां रा पीर
म्है तो चाल्या म्हारे गांव,थां सगलां न राम राम
करज्यो चोखा चोखा काम,जग मं होसी थारो नाम
राम राम कर लीन्ही समाधी,रामा राजकुमार
युगां युगां तक गायसी जिणरा गीत जहान
बोलिये राम सा पीर की जै
No comments:
Post a Comment