मटकी फोड़े,माखन खाये
दधि दूध का कीच मचाये
बड़ा ही नटखट,सबको सताये ,फिर भी सबके मन को भाये
सब चाहे कि एक बार तो ,कान्हा मेरे घर भी आये
मैया को बातन में फ़साये ,भोली सी सूरत ये बनाये
एक पल कहे
मैं नहीं माखन खायो, अगले ही पल बोले
मैंने ही माखन खायो
बातों सें यूं छलकर,छलिया, मीठी मीठी तान सुनाये
दाऊ की यूं शिकायत लगाये, मोहे औरन को जायो बताये
हाथ में खिलौना चांद मंगाये ,इस छलिया का कोई पार नां पाये
जिसको भी इस छलिया नें छल लिया, उसकी नैया पार हो जाये
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