गणेश पूजन
मूंग बिखेरणा
सं स्यूं पहल्यां सुमिरिया,गौरीसुत गणराज
लाडेसर बनड़ा र ब्याव री,थांन ही सब लाज
रिद्धि सिद्धि संग आयज्यो,देवां रा सरताज
मूंग बिखेरां चाव स्यूं,मंगल करज्यो काज
हल्दी
म्हारी हल्दी रो रंग सुरंग,निपज माळव
मुलाव लाडलडे रा दादोजी, दादी र मन रळ
मुलाव लाडलडे रा बापूजी, मायड़ र मन रळ
बांरा दादोजी चतर सुजान, बिड़द सुधारसी
ऊंवारणा ,झाला
बनडो बेठ्यो आंगण मांहीं,मन में घणू हरखावे है
काकी-भाभी,मामी-मासी,सब कोई लाड लडावे है
भुवा-भेणां लेवे ऊंवारणां,सब मिल झाला गावे है
बनडो म्हारो है सुरग्यानी,मन्द मन्द मुस्कावे है
भात ,मायरो
घणों सुहाणों दिन है आयो, सखियां मंगळ गावे है
दादुर मोर पपीहा बोले,कोयल शब्द सुणावे है
हरख्यो म्हारो मनडो यो तो,फूल्यो नांहिं समावे है
भावज रे संग जामण जायो,भात भरण न आवे है
माया मांडणा
लक्ष्मी के भण्डार की, बड़ी अनोखी बात
ज्यों ख़र्चे त्यों बढ़त है,बिन खर्चे घट जात
पैसा करदो कांकरी,दिल करदो दरियाव
लाड बना र ब्याव री, शोभा ले घर आय
गीत-संगीत
घर आंगण सब द्वार सजाया, मंगल कलश धराया है
लाड बना संग प्यारी बनडी,सबके मन को भाया है
कुटुंब कबीलो,स्नेहि-स्वजन,सज धज कर सब आया है
गीत,संगीत री बेळा में,सगळा मिल धूम मचाया है
घोड़ी
बापूजी फूल्या नां समावे, मायड़ मन उमगावे है
काका-काकी र आनन्द री,थाह कोई ना पावे है
भूवा -भेणां सब कोई मिलकर, घोड़ी न खूब सजावे है
लाडेसर बनडो बिन्द बण्यो,यो कामदेव न लजावे है
लगाम पकड़ाई
घोड़ी है अलबेली,इणरा,नौलख रुपिया दाम है
सोना की खुरतालां इणरी,मोत्यां जड़ी लगाम है
ज्यां पर चढ़सी बाळक बनड़ो,मन्द मन्द मुस्कान है
जीजाजी झट लगाम पकड़ली, बहुत ही चतुर सुजान है
बारात
आगे आगे चले बाराती,पिछे पिछे घोड़ी रे
समधी जी के द्वारे पहुंची,चतुर सुहाणी घोड़ी रे
बेण्ड बाजा बाजण लाग्या,हुई मतवाळी घोड़ी रे
ठुमक ठुमक कर नाच दिखावे,या नखराळी घोड़ी रे
तोरण
सिर पे किल्लंगी तुर्रो,सेवरो है चमके
लाडेसर बनड़ा रो प्यारो,मुखड़ो है दमके
सज धज कर तैयार हो गयो,चाल्यो तोरण मारण न
बांन्धी कमर कटार है,सुरजमल चाल्यो ब्यावण न
वरमाला
मंन्द सुगन्ध बयार बहे,और झीणी पड़े फुंहार है
चतुर सयानी सखीयों के संग,गजगामीनी सी नार है
पलकें झुकी लाज की मारी,मन में ख़ुशी अपार है
प्यारी बनी माला पहनाये,बनड़ा भी तैयार है
चंवरी
मण्डप बण्यो चंवरी सजी,रोप दिन्ही है थाम्ब
पंन्डित जी सब विधि विधान सूं,करवाया सब काम
हथलेवा मिलवाय के,सारी रस्म कराई
पुष्पन की वर्षा हो रही जद मांग में सिंन्दूर भराई
फेरा
दो कुळ मिल्या दो हृदय मिल्या,दो संस्कारां रा मेळ हुया
जीवन र पथ पर चालण न,दो नया पथिक तैयार हुया
यूं प्रित की रीत निभावण नं, अग्नि रा फेरा सात लिया
सुख दुःख मं दोन्यूं साथ रेवां,सातूं जंन्मां रा कोल किया
समठूणी
समठूणी ली चाव स्यूं,सगोजी लाड लडाया है
दादोजी बहूराणी नं,आपरे गोडा बिठाया है
आशीष दिन्ही मौकली,अंगूठी पहरावे
खुशियाली छाई घणी, सतरंगी गुलाल उड़ावे
बाड़ रुकाई
आज तो म्हारे मनड़े मांहिं, खुशियां नांहिं समावे है
दादोजी रो प्यारो पोतो,परण-घुरण घर आवे है
भुवा-बहनां नज़र उतारे,आज बधाई चावे है
बापूजी दिलदार बन्ना रा,मोहरां ख़ूब लुटावे है
ग्रह प्रवेश
जगमग होग्यो आंगणौ,मुळकण लागी पौळ
प्यारी सी बहूराणी की,जद बाजी है रिमझोळ
बनड़ो म्हारो लाड़लो,कालजिया री कोर
छोटी सी लाडेसर बहू,लागे ज्यों गणगौर
मुंह दिखाई
घर आंगण न ख़ूब सजायो,बंन्दवाल बंन्धाई
आज म्हारे आंगणिया मं, लक्ष्मी सी बहू आई
स्नेही स्वजन नेग देयकर,रस्म करे मुंह दिखाई
चांन्द सो मुखड़ो देख बहू को, खुशियां ही खुशियां छाई
कान पकड़ाई
देवर भाभी को यो रिस्तो, छेड़छाड़ को,पर है विलक्षण
सीता सरीसी भाभी हुवे,तो ,देवर भी होवे है लक्ष्मण
रस्म है कान खिंचाई की,पर मन में छुप्यो है स्नेह बंन्धन
भाभी थांरे आंणे स्यूं तो,महक उठ्यो है म्हारो घर आंगण
जुआ खेलने की रस्म
बनड़ो बनड़ी जुओ खेले,बीच धरयो है थाळ
बनड़ो सुरग्यानी जीत गयो है,बनड़ी गई है हार
जद जीवन ही हार दियो है,बनड़ा थांरे लार
थांरी जीत मं म्हारी जीत है,थांरी हार मं हार
No comments:
Post a Comment