ईसर गवरां जद मिलेला, म्हारै मन रा फूल खिलेला
राम सीता की सी जोड़ी आ सुहानी लागे, मन भाणी लागे
ईसर राजा औऱ गवरां राजराणी लागे
चन्दा की सी चमके है आ,कळी कचनार सी
फूल है ग़ुलाब को आ नाज़ुक सुकुमार सी
ईसरजी र आंगण लिछमी जासी
घर में च्यांनणों हो ज्यासी
नई नवेली आ तो रिद्धि सिद्धि की धिराणी लागे ,मन भाणी लागे,
ईसर राजा.....
साँची बात बतावां हां म्हे सुणो गवरल राणी जी
सुतां न सुपना में दिखे गळ्यां ईसर जी के शहर की
मन की बैचेनी बढ़ ज्यावै जद ईसरजी की याद सतावै
राधाकृष्ण की सी प्रीत या पुराणी लागे, मन भाणी लागे
ईसर राजा .....
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