श्री
मोह माया, ममता म पड़कर,पड़ गयी जान झमेले म
बाज़ीगर तेरी बाजे रे डुगडुगी,गङ्गा जी क मेळ म
मात कहे ये पुत्र है मेरा,बहन कहे बीर मेरा
भाई कहे ये भुजा हमारी,नारी कहे नर मेरा हो..
पेट पकड़ कर माता रोये,बाँह पकड़ कर भाई
सिसक,सिसक तेरी तिरिया रोये,हँस अकेला जाइ हो.
च्यार हाथ का कफ़न बणाया, चढ्या काठ की घोड़ी
च्यारूं कुण्टा आग लगा देई,फूंक देई ज्यों होळी हो..
हाड जले ज्यूँ सुखी रे लकड़ी,केस जले ज्यूँ घासा
कञ्चन जैसी काया जळ गई,कोई न आये पासा हो..
माटी ओढ़ण,माटी बिछावण,माटी करया सिराणा
कहत कबीर,सुणो भाई साधु,माटी में मिल ज्याणा हो
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