माँ गवरजा पधारी,माता गिरिजा पधारी,देखो शैलजा पधारी
,हरख मनावो
ढम ढम ढोल नगाड़ा बाजे,आभो गरजे बीजळी नाचे
ओ कुंण शंख बजायो,बधावो रामा.....
रुणझुण रुणझुण पायल बाजे,सात सुरों में मनड़ो गावे
सुण सुण मन हरसायो बधावो रामा....
गळी गळी में घुड़लो घूमे,लोग लुगायां टाबर झुँमे
सुरँगों सुख है छायो बधावो रामा......
तीज चौथ सुहावणी आई, सागे प्यार मोकळो ल्याई
इमरत ही ढळकायो बधावो रामा....
कुँवारी तो सुन्दर वर पावे,परणी रो सुहाग अमर हो ज्यावै
ज्यों पूजे फळ पावे बधावो रामा....
माँ गवरजा न शीश नवावो ,जी भरकर आशीष थे पावो
दिन पूजण रो आयो बधावो रामा.....
आँगनियो हरखायो हे आनन्द छायो,हे दरशन पायो
हे सुख बरसायो,हे मन हरसायो हे वन्दन गा$यो
माँ गवरजा......
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