जठ, ईसरदास जी सांपड़याँ, बाई गवरां न गौर पूजावो जी
जठ,कान्हीराम जी सांपड़याँ, लाड़लड़याँ न गौर पूजावो जी
गौर पूजन्ता यूँ केव,सायब, आ जोड़ी इबछल राखो जी
आ जोड़ी इबछल राखन्ता, म्हारै चुड़ला र राखी बंधावो जी
चुड़ला र राखी बंधावन्ता, म्हारी चूंनड़ रो सरब सँवारो जी
ऊँचो,चँवरो,..…
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