पीता है वो भँग का प्याला,रहे सदा मतवाला
शिव भोलाभाला.....
तेरी जटा में गङ्ग की धारा,माथे पे चंद्रमा सोहे
कर में त्रिशूल लिए हैं, सङ्ग पार्वती मन मोहे
तन पे भस्मी रमाने वाला,गल सर्पों की माला
शिव भोलाभाला.....
सारी दुनियाँ तुझे मनाये,तूँ राम का ध्यान लगाये
काशी में प्राण तजे तो,उसें राम का मंत्र सुनाए
भवबन्धन सें मुक्त कराकर, मुक्ति देने वाला
शिव भोलाभाला.....
जब विष निकला मन्थन सें, सब देव बहुत घबराए
सबने फिर विनय सुनाई,अब तुम बिन कौन बचाये
नीलकण्ठ ,महादेव,सदाशिव,विष को पीनेवाला
शिव भोलाभाला.....
शिवरात्रि पर्व है आया,भक्तों का मन हर्षाया
श्री मित्र मंडल ने मिलकर,प्रभू का दरबार सजाया
पुष्पा कहे प्रभु कृपा करो अब,काटो भव जंजाला ,शिव भोलाभाला
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