श्री
वेदमति सोधि,सोधि,सोधि के पुराण सब
सन्त ओ असन्त न को,भेद को बतावे तो
कपटी कुराई कुर, कलि के कुचालि जीव
कौन राम नाम हूं की चर्चा चलावे तो
बेणी कवि कहे मानो,मानो तो प्रतीति यह
पाहनु हिये में कोई प्रेम उमगावे तो
भारी भवसागर उतार तो कौउन पार
जो पे यह रामायण तुलसी ने गावे तो
आरती श्री रामायण जी की
कीरति कलित,ललित सिय पी की
आरती
गावत ब्रम्हादिक मुनि नारद,बाल्मीक बिग्यान बिसारद
सुक सनकादि शेष अरु शारद,बरनि पवनसुत कीरति नीकी
आरती श्री....
गावत वेद,पुराण अष्टदस,छहों शास्त्र,सब ग्रन्थन को रस
मुनिजन धन,सन्तन को सरबस,सार हंस सम्वत सबहि की
आरती श्री.....
गावत सन्तत,संभु भवानी,अरु घट संभव मुनि बिग्यानी
व्यास आदि कवि बरज बखानी,काकभुसुण्डी गरुड़ के ही की
आरती श्री.........
कलिमल हरनि बिषयरस फ़ीकी,सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की
दलन रोग भव मूरि अमी की,तात,मात सब विधि तुलसी की
आरती श्री......
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