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क्या लेके आया बन्दे.....


                                    श्री

क्या लेके आया बन्दे,क्या लेके जायेगा

दो दिन की जिंदगी है, दो दिन का मेला


इस जगत सराय में,मुसाफ़िर रहना दो दिन का

क्यों विरथा करे गुमान,मूर्ख इस धन औऱ यौवन का

नहीं है भरोसा पल का,गफ़लत में खोएगा

दो दिन की......


वो कहाँ गए बलवान,तीन पग धरती तोलनिया

जिनकी पड़ती थी धाक,नहीं कोई सामा बोलनिया

निर्भय डोलनिया बे ,गया है अकेला

दो दिन की.......


बे छोड़ सक्या नां कोय कि माया गिणी गिणाई  न

बे गढ़ कोटां की नींव,छोड़ गया चीणी चिनाई न

चीणी औऱ चीनायी संग म चल्या नहीं ढेला

दो दिन की.....


इस काया का है भाग,भाग बिन पाया नहीं जाता

कहे शर्मा बिना नसीब,तोड़ फ़ल खाया नहीं जाता

गाया नहीं जाता मुख सें,बना क्यों है भोला

दो दिन की....

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