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भजन,कृष्ण-सुदामा का

कांई थारो भायलो गोपाल
हरि जी न जांचण् जावो जी,कांई थारो.....
विप्र सुदामा स्यूं तिय बोली,मीठे बचन रसाल
कांई थारो.....
1  बे है थारा परम् सनेही, पढ़या एक चट साल
   ओरां के पिया अन्न धन लिछमी,थे क्यूं फिरो कंगाल
कांई थारो....
2  विप्र सुदामा पहुंचे द्वारिका ,श्री कृष्ण के द्वार
सुने सुदामा मित्र हैं आये,दौड़े दीनदयाल
कांई थारो.....
3  चरण धोय चरनामृत लीन्हयो,रुक्मण देखे जात
तन्दुल ले हरि फाकण् लाग्या,रुक्मण पकड़यो हाथ
कांई थारो....
4  टूटी टपड़ी महल चीणा दियो,जड़ दिया हीरा लाल
परमब्रम्ह हरि शोकरहित आज,रोवे झर झर धार
कांई थारो.....

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