श्री
एक साहूकार हो।बो रोज वेश्या क घर जातो।पगां हूँ पांगलो हो ।बिकी लुगाई भोत पतिव्रता ही।बा रोज आपक धणी न कंधोला पर बिठार वेश्या क घरां छोड र आती।हर पाछी लेर आती।इंया करतां करतां सातुड़ी तीज को बरत आयग्यो।रोजाना की तरियां बा आपक धणी न वेश्या क घरां छोड़न गयी।बी दिन भोत मेँ र आंधी आ रिया हा।सदा तो बो बिन के देतो कि घरां चली जा।जणा बा चली जाती।बी दिन बो केणो भुलग्यो। बिना किंया बा गई कोनी।दरवाज क बार खड़ी खड़ी भिजबो करी।भाईजोग हूँ बी साहूकार न याद आयग्यो जणा बो बार जार देख तो बा खड़ी खड़ी भीज।जद बो कह्यो कि घरां चली जा।जणा बा साहूकार की लुगाइ आपक घरां रवाना हुई।बित घणी रात हुगी हर रस्ता म नदी बेण लागी।बा धीर धीर नदी पार करण लागी जणा नदी म नीमड़ी माता मंडयोड़ी,आकड़ को दोनु,पिण्डा, सातु फिदड कसुम्बल कपड़ो स बैंवता बैंवता बिर कन आयग्या।नीमड़ी मुं आवाज आव **डोलो डोल पी, झीकोल पी, भायां री बेनड़,डोलो डोल पी ,झीकोल पी**। जणा बा आपकी सो समान लेर घरां आ ज्याव।न्हा धोर पूजा कर बित ही बिरो धणी वेश्या हु लड़ाई झगड़ो कर र सो धन लेर हमेशां क लीय बिर कन ही आ ज्याव ।बिरो पांगलोपन भी ठीक हु ज्याव।कंचन सी काया हु ज्याव।ओ सब बीरी पतिव्रता लुगाई क नेम क कारण हुअ।हे नीमड़ी माता बिन टूठि बीसी सगळां न टूठि।घटी है तो पूरी करी, पूरी है तो परवान चढ़ाई।बोलो नीमड़ी माता की जय
एक साहूकार हो।बो रोज वेश्या क घर जातो।पगां हूँ पांगलो हो ।बिकी लुगाई भोत पतिव्रता ही।बा रोज आपक धणी न कंधोला पर बिठार वेश्या क घरां छोड र आती।हर पाछी लेर आती।इंया करतां करतां सातुड़ी तीज को बरत आयग्यो।रोजाना की तरियां बा आपक धणी न वेश्या क घरां छोड़न गयी।बी दिन भोत मेँ र आंधी आ रिया हा।सदा तो बो बिन के देतो कि घरां चली जा।जणा बा चली जाती।बी दिन बो केणो भुलग्यो। बिना किंया बा गई कोनी।दरवाज क बार खड़ी खड़ी भिजबो करी।भाईजोग हूँ बी साहूकार न याद आयग्यो जणा बो बार जार देख तो बा खड़ी खड़ी भीज।जद बो कह्यो कि घरां चली जा।जणा बा साहूकार की लुगाइ आपक घरां रवाना हुई।बित घणी रात हुगी हर रस्ता म नदी बेण लागी।बा धीर धीर नदी पार करण लागी जणा नदी म नीमड़ी माता मंडयोड़ी,आकड़ को दोनु,पिण्डा, सातु फिदड कसुम्बल कपड़ो स बैंवता बैंवता बिर कन आयग्या।नीमड़ी मुं आवाज आव **डोलो डोल पी, झीकोल पी, भायां री बेनड़,डोलो डोल पी ,झीकोल पी**। जणा बा आपकी सो समान लेर घरां आ ज्याव।न्हा धोर पूजा कर बित ही बिरो धणी वेश्या हु लड़ाई झगड़ो कर र सो धन लेर हमेशां क लीय बिर कन ही आ ज्याव ।बिरो पांगलोपन भी ठीक हु ज्याव।कंचन सी काया हु ज्याव।ओ सब बीरी पतिव्रता लुगाई क नेम क कारण हुअ।हे नीमड़ी माता बिन टूठि बीसी सगळां न टूठि।घटी है तो पूरी करी, पूरी है तो परवान चढ़ाई।बोलो नीमड़ी माता की जय
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