रिद्धि सिद्धि उठ
प्रात समय में, श्री गणराज जगावे
है
रिद्धि सिद्धि
उठ...
उठो नाथ पंछी
गण चहके, कश्यप
सुत गुण गावे
है
ब्राम्हण वेद पढ़ण्
को लागे, योगी
ध्यान लगावे है
रिद्धि सिद्धि उठ...
ले अंगड़ाई भँवरे
जगे हैं, वन उपवन को
धाए हैं
कुमोदिनी सिर चकवी
प्रमुदे, कमलानन विकसावे
है
रिद्धि सिद्धि
उठ...
दधि मंथन को
शब्द भयो है, गो वत्सन
पय पावे है
द्वार भीड़ भक्तन
की लागी, जय
जय शब्द सुणावै
है
रिद्धि सिद्धि
उठ...
उठो भवानी याद
करत है, श्री
महादेव बुलावे है
बंशीधर गणपति दर्शन
कर, भक्त सभी
सुख पावे है
रिद्धि सिद्धि उठ...
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