श्री
बाँके बिहारी मुझको देना सहारा
कहीं छूट जाये ना, दामन तुम्हारा
तेरे सिवा मन में आये ना कोई
लगन का ये दीपक,बुझाये ना कोई
तुम्हीं मेरी कश्ती, तुम्हीं हो किनारा
कहीं छूट........
तेरे रास्ते सें हटाती है दुनियां, इशारों सें मुझको बुलाती है दुनियां
देखूं नां हरगिज़ मैं , दुनियां का इशारा
कहीं छूट........
तेरे नाम का गान गाती रहूं मैं, सुबह शाम तुझको रिझाती रहूं मैं
तेरा नाम मुझको है, प्राणों सें प्यारा
कहीं छूट.......
बड़ी भूल की जो दुनियां में आई,मूल भी खोया औऱ ब्याज़ भी गमायी
दुनियां में प्यारे मुझको,भेजो नां दूबारा
कहीं छूट.......
बहुत उम्र बीती,अभी तक नां आये,बैठी हूँ मैं पलकें बिछाएं
जल्दी सें आजा नटवर,दे दो सहारा
कहीं छूट.....
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