श्री
हे जगदम्बे,राणी मैया, म्हारो मिनखां जन्म सुधार
माता संतोषी
करे दुखिया नार पुकार,माता संतोषी5
म्हारो मिनखां जन्म सुधार,माता संतोषी
बेटी धन परायो जाण,बाबुल कियो कन्यादान
म्हाने, चँवरयां बैठ परणाई ,ऐ माय..
मैं तो,आली भोली नार, सज सोला सिणगार
गठजोड़े सासरै आई ,ऐ माय.....
बाबुल माय, बिरोजी छोडया, पिवरियो परिवार,
माता संतोषी.......
म्हारा सुसरो सेठ,सागे देवर जेठ
बे तो,लाखां रा व्योपारी,ऐ माय....
सासू, देराणी, जिठानी, बण बैठी है सेठाणी
ओढ़े मख़मल जरी किनारी ,ऐ माय....
म्हारी चुनडली र सौ सौ कारी, अंगियाँ तारमतार
माता संतोषी......
सारे घर का लोग,जीमे छप्पन भोग
म्हांने बासी टुकड़ा देवे,ऐ माय....
ऊठु किरतयाँ ढ़लती रात,पिसूं पोऊं प्रभात
छाती म करोति देव,ऐ माय.....
जंगल में जाऊँ औऱ लकड़ी ल्याऊं,नित की भारी चार
माता संतोषी.....
बोली पड़ौसन विचार, सुण ल निर्धनीय की नार
तूं तो,पूज ऐ संतोषी माता,ऐ माय.....
मती खाई तूं खटाई, मन में राख चतुराई
तने ठुठे जगत की दाता, ऐ माय....
गुड़ चणा को भोग लगाई,पूजन शुक्रवार
माता संतोषी.....
पियो बसत परदेश, लियो भगवां भेष
लुक,छिप के मन्दिरिये में जावे,ऐ माय....
नित नेम लियो धार,माता संतोषी के द्वार
भोली नार,आँसुडा ढलकावे,ऐ माय.....
चाँद से मुखडे पे कजलिया री,खींच रही लिछमण धार
माता संतोषी.......
कलकते को बाज़ार, हीरा मोत्यां व्योपार
बो तो,नगरसेठ कहलावे,ऐ माय.....
किंयां सुत्यो है बिसार, बिलखे थारे घर की नार
जाय सुपना म सेठ न जगावै, ऐ माय......
माँ संतोषी दरश दियो जद, घर आयो भरतार
माता संतोषी......
कथा व्यास न बुलाय,पूजा पाठ करवाय
नार कियो अजुनो भारी ,ऐ माय....
खीर खांड का भोजन ,विप्र हुए हैं मगन
जीमे आँगन कन्या कुंवारी,ऐ माय.....
चाँद सो प्यारो पुत्र दियो माँ, रिद्धि सिद्धि भरया रे भण्डार
माता संतोषी......
कर सोलह सीणगार, रिम झिम पायल की झनकार
असवारी भक्तां क घरां आई,ऐ माय......
सामा सगळा पधार,लीन्ही आरती उतार
माता हँस हँस हिवड़ै लगाई,ऐ माय....
माधोसिंह गावै अमर बधावा, खम्मा खम्मा करे नर नार
माता संतोषी......
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