श्री
लखमी रो नाथ,म्हांने प्यारो लागे,चारभुजा रो नाथ
म्हारो चित्त चरणां म राख
मोर मुकुट सिर छत्र विराजे,कानों में थांरे कुण्डल साजे
गले में थांरे हार हजारी,भक्तां न हिवड़े लगाय
म्हारो चित्त.......
रतन सिंहासन आप विराजो,राधा रुक्मण संग में राखो
चरण धोय,चरनामृत पिवूं, मगन रहूँ दिन रात
म्हारो चित्त.........
माखन मिश्री रो भोग लगाऊं,हाथ जोड़ थांने अर्ज सुनाऊँ
सुबह शाम थांरा दरशन पाऊं, खुशियां मनाऊँ दिन रात
म्हारो चित्त......
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