श्री
दुर्गा भवानी आई रे,देवी दुर्गा
आई सिंह पे सवार, छाया तेज़ बेशुमार
माँ, खुशियां हज़ारों लाई रे,देवी दुर्गा
दुर्गा भवानी.........
तूं ही ने महिषासुर मारा,मधू कैटभ को तूने संहारा
पहने मुण्डों की माला,क्रोध की भडक़े ज्वाला
रूप अनोखा पाई रे,देवी दुर्गा
दुर्गा भवानी..........
देवों के दुःखों को टारे, शुम्भ,निशुम्भ दनुज सँहारे
तेरी नां सानी है, दुनियाँ ने मानी है
महिमा सभी ने गाई रे,देवी दुर्गा
दुर्गा भवानी......
जो कोई द्वारे तुम्हारे आया,मुँह मांगा सबही ने पाया
पल में भण्डार भर दे,तूं जो चाहे तो कर दे
पर्वत को भी राई रे,देवी दुर्गा
दुर्गा भवानी.......
तुम ही हो माँ जग की जननी,राजू आस लगी चरणन की
दुःखों ने घेरा है, जीवन ये मेरा है
दिल में उदासी छाई रे,देवी दुर्गा
दुर्गा भवानी....
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