श्री
गिरिराजसुता की गोदी में खेलत गणेश
सुमर लेवो गौरीनंदन को,भोग लगे मेवा चन्दन को
भरे भण्डार सकल अन्न धन को, काटे जी सारा ही क्लेश
गिरिराजसुता की.....
तुम हो गणपतजी बलकारी,ठुमक चाल मूसे असवारी
सब भक्तों की विपदा टारी, ध्यावे है देश परदेश
गिरिराजसुता की.......
ध्यावे ऋषि मुनि सब परजा,नहीं कारजमें होवे हरजा
धन है थारी माता गिरिजा,धन थारो पिता है महेश
गिरिराजसुता की.......
तुम हो गणपत दूंद दूंदाला, चतुर्भुजा गल बीच में माला
शंकर कहे जटोटीवाला,नित धरूं ध्यान हमेश
गिरिराजसुता की......
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