श्री
उद्धो जी मधुपुर का वासी,म्हारो बिछुड़यो श्याम मिलाय
विरह की कटे , कठिन फांसी
श्याम बिना चैन नहीं आवे
म्हारो जबसें बिछुड़यो श्याम, हिवड़ो, उझल्यो ही आवे
छाय रही व्याकुलता भारी
म्हारे श्याम विरह में आज, नैन सु रियो नीर जारी
श्याम बिना बृज सुनो लागे
सुनो जमुना को तीर, कुँज सब सुनो ही लागे
गोठ,बन,श्याम बिना सुनो
म्हारे एक एक पल, जुग जुग सम बीते,विरह बढ़े दूनो
उद्धो जी अरज सुनो म्हारी
थांरो गुण नहीं भूलूं कदे,मिला दयो,मोहन गिरधारी
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