Bhajan that connects with spirituality...

Gopigeet ।। अरज म्हारी जाय कहिज्यो जी

                                 श्री 

अरज म्हारी जाय कहीज्यो जी, उद्धो जी

मोहन न समझाय, वृंदावन बेगा लाइज्यो जी


वृन्दावन, फीको लागे जी, उद्धो जी

नैना देख्यो नहीं जाय,आग उर भीतर लागे जी


यशोदा,अति अकुलावे जी, उद्धो जी

नन्द बाबा करत विलाप, मोहन कब दर्श दिखावे जी


राधा थाने,याद करे छ जी, उद्धो जी

छिन छिन करत विलाप, नैना से नीर बहे छ जी


ऐसी हम नहीं जानी थी जी, उद्धो जी

अध बिच गयो छिटकाय, पीड़ म्हारी नहीं पीछानी जी


दासी म्हारी, बैरन भई छ जी, उद्धो जी

मोहन न लियो है मोय, जोय चित रोय रियो छ जी


मोहन न बेगा बुला द्यो जी,उद्धो जी

गुण थारा भूलूं नांही,सूरत झटपट दिखला दयो जी


No comments:

Post a Comment