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Shivbhajan ।।हरि हर के मिलन की कथा


                                    श्री 

 अपने राम जी की छवि निरखण की मन में आई है 
 भोलौ आयो है
 कागभुसुंडी को संग में लेकर,युक्ति बनाई है 
 भोलौ आयो है 
 ओहो, दर्शन करने श्री राम जी का,लीला रचाई है 
 भोलौ आयो है 

 आज अवध में उत्सव भारी,घर घर खुशियां छाई है
 मंदिर मांहीं आय विराजे, श्री रघुराई है
 भोलौ आयो है 

 कैलाश उपर बेठै शंकर,राम का ध्यान लगाये हैं 
भनक पड़ी जब राम लल्ला की,रुक नहीं पाये हैं 
भोलौ आयो है 

 भाल चंन्द्रमा,गंग छिपाई,साधू को भेष बणायो है 
 अवधपुरी में आकर भोलौ अलख जगायो है 
 भोलौ आयो है 

 इष्ट देव का दरशण करके मन में अति हरषायो है
 हरि भी हर की लीला लखकर,मन मुस्कावे है 
 भोलौ आयो है 

 हरि_हर की ये पावन लीला, पुष्पा के मन भाई है
 चरण कमल में चित लग जाये, ये अर्जी लगाई है 
 भोलौ आयो है

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