जीवन है तेरे हवाले,मुरलिया वाले
वृन्दावन में बसा ले,मुरलिया वाले
हम हैं बांसुरियां तेरे अधर की
जैसें चाहे,बजा ले, मुरलिया.....
हम कठपूतली,तेरे हाथ की
जैसें चाहे नचा ले,मुरलिया....
मेरे अपने,हुये नां अपनें
अब तो तूं ही ,अपना ले, मुरलिया....
जन राजेश की विनय यही है
कर गही कन्ठ लगा ले,मुरलिया....
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