श्री ओ राम जी म्है तो थारा मंदिर निरखण आया जी
राजा दशरथ जी रा लाल,म्है तो प्यारी अयोध्या निरखण आया जी रघुनाथ
ओ राम जी,आज अवध पर तीनों लोक बलिहारी जी
माता कौशल्या रा लाल,
आय विराजे मंदिर में रघुराई जी रघुनाथ
ओ राम जी,निर्मल,पावन, सरयू बहे सुखकारी जी
राणी सीता रा भरतार,
संत समागम नित का होवे भारी जी रघुनाथ
ओ राम जी, भक्तों के हित,सालोक तज कर आये जी
राजा दशरथ जी रा लाल,
देव भी जिनके दरशण को ललचाये जी, रघुनाथ
ओ राम जी,लखन,भरत,रिपूसूदन चंवर ढ़ुलावे जी
माता कौशल्या रा लाल,
चरणां मांहीं,हनूमत शिश नुवावे जी रघुनाथ
ओ राम जी या छवि निरखण,देव धरा पर आये जी
राजा दशरथ जी रा लाल,
दरशण करके आनन्द ख़ूब मनाये जी रघुनाथ
ओ राम जी,शिव,बृम्हादिक मनुज रुप धर आये जी
माता कौशल्या रा लाल,
वेद विविध विधी,महिमां गाय सुणाये जी रघुनाथ
ओ राम जी,दसों दिशांयें, राम ही राम उचारे जी
राजा दशरथ जी रा लाल
मानो धरा पर, त्रेतायुग फ़िर आया जी रघुनाथ
ओ राम जी, पुष्पा प्रभू सें इतनी अरज लगावे जी
माता कौशल्या रा लाल,
मन-मंदिर में,आकर युगल विराजो जी रघुनाथ
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