नख पर धार लियो गिरिराज ,नाम गिरिधारी पायो है
सुरपति सेवा मेट,इष्ट गिरिराज पूजायो है
सवा लाख मण सामग्री को भोग लगायो है
खबर भयी जब स्वर्गलोक में, इंद्र रिसायो है
सात रात दिन परलाई को,मेह बरसायो है
सारो बृज इक्कठो होय, गिरिराज उठायो है
पड़ी नां बृज पर बूंद, इंद्र मन में घबरायो है
सुरभी गाय,करण घोड़ा, ऐरावत ल्याय़ो है
गिरयो चरण र मांय क्षमा अपराध करायो है
धन्य धन्य गिरिराज, इन्द्र को मान घटायो है
भगतां मिल बृज वासी न कथ गाय सुणायो है
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