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Amrit hai Hari Naam jagat me



                                    श्री 

 अमृत है हरि नाम जगत में, इसें छोड़ विषय रस पीना क्या 
हरि नाम नहीं तो जीना क्या....

. काल सदा अपने रस डोले,ना जाने कब सिर चढ़ बोले
 हरि का नाम जपो दिन बासर, इसमें अब बरस महीना 
क्या हरि नाम नहीं तो.....


. भूषण सें सब अंग सजाये, रसना पर हरि नाम ना लावे 
देह पड़ी रह जाये यंही पर,फ़िर कुण्डल औऱ नगीना क्या 
हरि नाम नहीं तो..... 


 तीरथ है हरि नाम तुम्हारा,फ़िर क्यूँ फिरता मारा मारा 
अंत समय हरि नाम न आवे फ़िर काशी औऱ मदीना क्या
 हरि नाम नहीं तो.......


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