सात सहेल्यां र झुलर,म्हारी गवरल गयी रे तलाब राठौड़
गैरो जी फूल गुलाब रो
सातूं सहेल्यां पाछी बावड़ी, म्हारी गवरल रही रे तलाब राठौड़
गैरो जी फूल......
पाळ चढन्ता राजवीं,म्हारौ भरियो माट ऊंचाई राठौड़
गैरो जी फूल....
भरियो माटो नां उठ,कोई आधो कर रे ऊँचाऊं गणगौर
गैरो जी फूल.....
आधो माटो झबझबे,म्हारौ भीजै सौ सिणगार राठौड़
गैरो जी फूल....
। फोड़ घड़ो कर ठीकरी,कोई होय ज्या म्हारै लारे गणगौर
गेरो जी फूल....
बाळूं रे झाळूं थारी जीभ न,कोई बुरकावूं सांभरिया रो लूण राठौड़
गैरो जी फूल...…
जोगी जाय कैवूंला म्हारी मायड़ न,तने भोजन में विष देवे राठौड़
गैरो जी फूल......
जोगी जाय केवूंला म्हारी भावज न,तने दूधा में विष देवे राठौड़
गैरो जी फूल....
जोगी जाय कैवूंला म्हारी बैनड़ न,तने शरबत में विष देवे राठौड़
गैरो जी फूल....
जोगी जाय कैवूंला म्हारै बाबुल न,तने हुक्का में विष देवे राठौड़
गैरो जी फूल....
जोगी जाय केवूंला म्हारै बीरा न,तने देश निकाळो दिरावे राठौड़
गैरो जी फूल....
जोगी जाय केवूंला ईसर पातळ न,तने तोपां सूं रे उड़ावे राठौड़
गैरो जी फूल.....
No comments:
Post a Comment