म्हारा हरिया जंवारा ओ,क गेहूं लाल सरस बड्या
ए तो सूरज जी रा बाया ओ क बहु रेणा दे सींच लिया
ए तो ईसरदास जी रा बाया ओ,बाई गवरां दे सींच लिया
ए तो कान्हीरामजी रा बाया ओ,बहु लाडलड़याँ सींच लिया
भावज सींच न जाणी ए क गेहूं पीळा पड़ रे गया
बाईजी दो घड़ा सिंच्या ओ क लाम्बा तीखा सरस् बड्या
म्हारौ सरस पटोलो जी क बाई सुधरा पेर लियो
म्हारा डब्बा भरिया गेंणा ओ क बाई रोवाँ पेर लिया
म्हारी नोरंग चूनड़ी ओ क बाई गवरां ओढ़ लेइ
म्हारौ दूध भरयौ कटोरो जी क बाई सुधरा पी रे गई
म्हारा हरिया जंवारा ओ,क गेहूं लाल सरस बड्या
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