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Janwara ।।म्हारा हरिया जंवारा ओ राज....


                                   श्री

 म्हारा हरिया जंवारा ओ,क गेहूं लाल सरस बड्या
 
 ए तो सूरज जी रा बाया ओ क बहु रेणा दे सींच लिया 

ए तो ईसरदास जी रा बाया ओ,बाई गवरां दे सींच लिया

 ए तो कान्हीरामजी रा बाया ओ,बहु लाडलड़याँ सींच लिया

 भावज सींच न जाणी ए क गेहूं पीळा पड़ रे गया 

बाईजी दो घड़ा सिंच्या ओ क लाम्बा तीखा सरस् बड्या 

म्हारौ सरस पटोलो जी क बाई सुधरा पेर लियो 

म्हारा डब्बा भरिया गेंणा ओ क बाई रोवाँ पेर लिया

 म्हारी नोरंग चूनड़ी ओ क बाई गवरां ओढ़ लेइ 

म्हारौ दूध भरयौ कटोरो जी क बाई सुधरा पी रे गई 

 म्हारा हरिया जंवारा ओ,क गेहूं लाल सरस बड्या

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