घनश्याम बजाये बाँसुरिया, सुन राधा हो गयी बावरिया
तीर यमुना के तट पर कन्हैया खड़े
गहने पहने थे,मोती हीरों सें जड़े
उनकी शोभा अति,शरमाये रति
मेरे मन को भा गये साँवरिया
सुन राधा.......
देखो जमुना के तट पर है मेला लगा
सङ्ग सखियों का भारी झमेला लगा
उनकी बंशी बजी,सुनकर राधा सजी
कैसी लीला रचाये नटवर नागरीया
सुन राधा....
ऋतु आई बसन्त फूल खिलने लगे
देखो भँवरे भी मस्ती में फिरने लगे
चले ठण्डी पवन,झूमे सारा गगन
यहाँ रिमझिम बरसे बादरिया
सुन राधा.....
भक्त मण्डल ने तेरी ये लीला कही
देवो दरशन हमें तुम भुलावो नहीं
आये तेरी शरण, अब निभावो परण
मेरी प्रेम सें भर दो गागरिया
सुन राधा.....
Very good song
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