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मेरे उठे विरह की पीर,सखी......

                                 श्री 

मेरे उठे विरह की पीर,सखी वृन्दावन जाऊँगी 
वृन्दावन जाऊँगी सखी बरसाने जाऊँगी 
बाजे मुरली जमुना तीर,
सखी वृन्दावन.....

. छोड़ दिया मैंने भोजन पानी,श्याम की याद में
 मेरे नैनन बरसे नीर 
सखी वृन्दावन...

. श्याम सलोनी सूरत पे दीवानी हो गई 
अब कैसें धारूँ धीर
 सखी,वृन्दावन...... 

 इस दुनिया के रिस्ते नाते मैंने तोड़ दिए 
तोहे कैसें दिखाऊँ दिल चीर 
सखी,वृन्दावन....

1 comment:

  1. Aakhir Kyon मेरे उठे विरह की पीर,सखी
    Pauranik KathayenThanks for artical

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