हनुमत सें बोली यूँ माता,क्यों मुख मुझे दिखाया है
तूं वो मेरा लाल नहीं,जिसें मैंने दूध पिलाया है
मैंने ऐसा दूध पिलाया,तुमको क्या बतलाऊँ मैं
परबत के टुकड़े हो जाये,धार अगर जो मारूँ मैं
मेरी ही कोख सें जन्म लिया,और मेरा ही दूध लजाया है
हनुमत सें....….....
भेजा था श्री राम के संग में,करने उनकी रखवाली
लछमन शक्ति खाके पड़ा है, रावण ने सीतां हर ली
माँ का शीश कभी ना उठेगा,ऐसा दाग लगाया है
हनुमत सें बोली....
छोटी सी एक लंका जलाकर,अपने मन में गर्वाया
रावण को जिंदा छोड़ा और,सीता साथ नहीं लाया
कभी ना मुझको मुख दिखलाना,माँ ने हुक्म सुनाया है
तूं वो मेरा ......
हाथ जोड़कर बोले हनुमत,इसमें दोष नहीं मेरा
श्री राम का हुक्म नहीं था,माँ विश्वास करो मेरा
मैंने वो ही किया है जो,श्री राम ने मुझे बताया है
हनुमत सें बोली.....
धन्य धन्य हे अंजनी माता,ऐसे लाल को जन्म दिया
हाथ जोड़कर श्री राम ने,उस देवी को नमन किया
बनवारी ना क्रोध करो माँ, ये सब मेरी माया है
ये सब मेरी माया है माँ, ये सब.....
No comments:
Post a Comment