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आशा बाड़ी, आशा बाड़ी, ज्यां में बैठी.....

चन्दन की चौकड़ी,मोत्यां रो हार, सूरज जी राणां दे रा भरतार
 हाथ में सरवो,हाथ में करवो गङ्गा झरी, गुड़ की डली,बिनायक जी महाराज पुरो मन की रली,
 तपियो तपेसरी,ब्राम्हण लखेसरी,तपीयो बैठ्यो तप री पाल म्हे बैठ्या हरजी के द्वार
,तपिया न होइज्यो तप रो फ़ल म्हाने होइज्यो म्हारी काणी कथा रो फ़ल 
 आशा बाड़ी, आशा बाड़ी, ज्यांमें बैठी कन्या कुँवारी
 कन्यां कुँवारी कांई करे,
सिंवरे बिनायक जी महाराज की बाड़ी,तीज,चौथ माता की बाड़ी,,सूरज भगवान की बाड़ी, चन्द्रमा जी की बाड़ी ,तैतीस करोड़ देवी देवता की बाड़ी 
आने सुमरयां कांई हुवे,
अन्न हुवे,धन हुवे,लाछ हुवे लिछमी हुवे,,निपुत्रयां न पुत्र हुवे,बिछुड़या न मेळो हुवे
 सांई रो दरशन दिज्यो,गादी रो बेठन दिज्यो,सासु रो पुरसण दिज्यो,बहु रो जीमण दिज्यो बेटा पोता रो राज दिज्यो
पोता बहु रान्ध राबड़ी,दोयता बहु रान्ध खीर,
मीठी लागे राबड़ी खाटी लागे खीर,
आवो साँवरिया थारो म्हारो सगळो ही सीर 
चन्दन की चौकड़ी,मोत्यां रा आखा,
कहानी कैवण वाला न,सुनन वाला न,हुंकारा भरण वाला न
काणी कथा रो फ़ल होइज्यो
आखा राळो घर र बार,घर में संपत, बारे राड़
उठो बायां उठो,थांने सेंस बिनायक टूठो।

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