यह विनती है,पल पल छीन छीन
रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में
चाहे,अग्नि में मुझे जलना हो,
चाहे कांटों पर मुझे चलना हो
चाहे,छोड़ के देश निकलना हो
रहे ध्यान तुम्हारे........
चाहे संकट ने मुझे घेरा हो,
चाहे चारों और अंधेरा हो
पर मन नहीं डगमग मेरा हो
रहे ध्यान तुम्हारे......
चाहे बेरी कुल सँसार बने
चाहे जीवन मुझ पर भार बने
चाहे मौत गले का हार बने
रहे ध्यान तुम्हारे........
जिभ्या पर तेरा नाम रहे
तेरी याद सुबह औऱ शाम रहे
तेरी याद ही आठों याम रहे
रहे ध्यान तुम्हारे......
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