मन नहीं जीत्यो जाय मोसें, मन नहीं जीत्यो जाय
तोसें अर्ज करूँ......
मन मेरा ये चञ्चल भारी,छिन छिन लेवे राड़ उधारी
तोड़ फेंक दे ज्ञान पिटारी,ना कछु पार बसाय
तोसें अर्ज करूँ.....
मन मेरा यह चञ्चल घोड़ा,सत्संग का नहीं माने कोड़ा
ज्ञान ध्यान का लंगर तोड़ा,पल पल में हिनहिनाय
तोसें अर्ज करूँ........
मन हाथी नहीं बस में मेरे,न्हाय धोय सिर धूल बिखेरे
महावत को भी नीचा गेरे,जरा नहीं भय खाय
तोसें अर्ज करूँ......
कैसें राखूं मन को बस में,मन कर रक्खा है मुझको बस में
तुलसी का मन विषय कुरस में,पल पल में ललचाय
तोसें अर्ज करूँ.....
No comments:
Post a Comment