नारायण जिन्ह नाम लिया,
तिन्ह औऱ का नाम लिया ना लिया
पशु पक्षी सभी जगजीवन को,
जिसने अपने सम जान लिया
सबका परिपालन नित्य किया,
तिन विप्र को दान दिया ना दिया
नारायण जिन्ह.......
जिनके घर में प्रभु की चर्चा
नित होवत है, दिन रात सदा
सत्संग कथामृत पान किया
तिन तीर्थ नीर पिया ना पिया
नारायण जिन्ह.....
जिन काम किये परमारथ के
तन सें, मन सें, कर सें करके
जग अन्तरतीरथ छाय रही
तिन चार विशेष जिया ना जिया
नारायण जिन्ह....
गुरु के उपदेश,समागम सें
जिसने अपने घट भीतर में
प्रभू मानस रूप को जान लिया
तिन साधन योग किया ना किया
नारायण जिन्ह......
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