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बिणजारी ए, हँस हँस बोल... |Binjari ae hans hans bol|

कागा किसका धन हरे,कोयल किसको देय मीठी वाणी बोलकर,जग अपनों कर ली बिणजारी ऐ, हंस हंस बोल,बातां थारी रह ज्यासी म्हांने परदेशी मत जांण,बातां थारी..... कण्ठी माला काठ की रे,ज्यांमे रेशमी सूत सूत बिचारो क्या करे कोई,कातण वाळो रे कपूत बातां थारी रह..... रामा थारे नाम री म्हांने,मोड़ी पड़ी पिछाण कई दिन बित्या बालपण रे कई दिन बित्या अनजान बातां रह ज्यासी.... रामा थारे बाग में रे लाम्बा पेड़ खजूर चढ़े तो मेवा चाख लूँ रे,पड़े तो चकनाचूर बातां थारी रह..... जैसें चूड़ी काच की रे,वैसें नर की देह जतन करयां सूं जावसी ,थोड़ो हरि भज लावो लेव बातां थारी रह..... पत्ता टूटा डाल सूं रे,ले गई पवन उड़ाय अबके बिछुड़या ना मिला रे,दूर पड़ेंगे जाय बातां थारी रह.... बालपण भजियो नहीं रे,कियो ना हरि सूं हेत अब पछताये होत क्या जब,चिड़िया चुग गई खेत बातां रह ज्यासी.... बाळद थारी लद गई रे,टांडा लद गयो भार रामानन्द का बड़का बीरा,तूं बैठी मोज्यां मार बातां थारी रह.....

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