श्री
तर्ज-चल उड़ जा रे पंछी .....
करो कृपा हे कृपानिधान,मैं तुमको एक पल भूल ना पाऊँ
लख चौरासी भटकत भटकत,मानव देहि पाई
माया के फंदे में पड़कर,याद तेरी बिसराई
पग पग पर ठोकर है खाई,फिर भी सम्भल ना पाई
अब तो आकर थाम लो प्रभु ,कहीं फिर सें भटक ना जाऊं ....करो कृपा हे.......
जीवन डोर है हाथ तिहारे,तुम ही हो रखवाले
बीच भँवर में फँस गई नैया,खाय रही हिचकोले
डगमग डोल रही किश्ती को,तुम बिन कौन सम्भाले
एक आसरा तेरा कन्हैया,और कहाँ मैं जाऊं
करो कृपा हे......
जबसें तेरा हाथ है थामा, तुमने दिया सहारा
पल पल के रखवाले कान्हां, ये उपकार तुम्हारा
तुम ही साथी,तुम ही संगी,औऱ ना कोई हमारा
अब तो ऐसी कृपा हो निश दिन तेरे ही गुण गाउँ
करो कृपा हे...
इतनी सी विनती है प्रभु ,नहीं हाथ छोड़ना मेरा
भवसागर सें तार,मिटा दो ,जन्म जन्म का फेरा
माया के बन्धन को हटा ,दो युगल चरण में डेरा
पुष्पा गिरिधर संग में राधे राधे जपते जाऊं
करो कृपा हे
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