ईसर ने लगा दिया बाग,गवरल मेंहदी तोड़ने चली
उसकी साड़ी पे लग गया दाग,गवरल मेंहदी .....
दस रुपये उस धोबी को दूंगी
मेरी साड़ी का दाग उतार,गवरल मेंहदी....
बीस रुपये उस रँगरेज को दूंगी
मेरी साड़ी पे रंग चढ़ाय,गवरल मेंहदी.....
सोय रुपये उस ईसर को दूंगी
मेरी साड़ी की नज़र उतार,गवरल मेंहदी....
No comments:
Post a Comment