श्री
शारद माता ईश्वरी,मैं नित सिंवरु तोय
हाथ जोड़ अर्जी करूँ,विद्या वर दे मोय
सदा भवानी दाहिनी,सन्मुख रहे गणेश
पाँच देव रक्षा करे,ब्रम्हा, विष्णु महेश
सिँह चढ़ी देवी मिले, और गरुड़ चढ़े भगवान
बैल चढ़े शिवजी मिले तो पूर्ण हो सब काम
मो सम दीन न दीन हित, तुम समान रघुवीर
अस विचार रघुवंसमणि हरहूं विषम भव पीर
कामिहि नारी पियारी जिमि,लोभिहि प्रिय जिमि दाम
तिमि रघुनाथ निरन्तर, प्रिय लागहूँ मोहि राम
एकहूँ मैं मन्द मोह बस,कुटिल ह्रदय अज्ञान
पुनि प्रभू मोहि बिसारेहु ,दीनबन्धु भगवान
नहीं विद्या नहीं भाव है, नहीं खर्चण को दाम
मों से पतित गरीब की,तुम पत राखो राम
श्रवण सुजस सुनि आयहुँ, प्रभु भंजन भव पीर
त्राहि त्राहि आरत हरण, शरण सुखद रघुवीर
भजिये करुनासिन्धु को ,मिले पदारथ च्यार
सुख सम्पति परिवार सूं,मोक्ष मिले निरधार
क्या कहूँ छवि आपकी,भले बने हो नाथ
तुलसी मस्तक तब नवे,जब धनुष बाण ल्यो हाथ
कित्त मुरली,कित्त चन्द्रिका,कित्त गोपियन को साथ
निज भक्तों के कारण यदुनाथ भये,रघुनाथ
सांई इतना दीजिए,ज्यांमें कुटुम्ब समाय
मैं भी भूखी ना रहूं,सन्त ना भूखा जाय
सब कुछ दिनां आपने,भेंट करूँ क्या नाथ
नमस्कार ही भेंट लो ,जोड़ूँ मैं दोनूं हाथ
सियावर रामचन्द्र की जय
उमापति महादेव की जय
पवनसुत हनुमान की जय
बोलो रे भाई सब सन्तन की जय
अयोध्या रामजी लल्ला की जय
वृंदावन कृष्णचन्द्र की जय
बोलो रे भाई च्यारूं धाम की जय
बोलो अपने गुरुदेव की जय
बोलो अपने मात पिता की जय
बोलो रे भाई गउ माता की जय
सनातन धर्म की जय
आज के आनन्द की जय
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