सरवरिया री तीर खड़ी आ,नानी नीर बहावे है
माँ का जाया बीर बिना कुण,भात भरण न आवे है
सरवरिया री तीर....
# एक दिन म्हारौ भोलो बाबुल,अरबपति कहलायो थो
अन्न धन रा भण्डार घणेरा, और छोर नहीं पायो थो
ऊँचा ऊँचा महल मालिया, नगरसेठ कहलायो थो
अनगिनती रा नोकर चाकर,याद म्हने सब आवे है
माँ का जाया.....
# लाड़ प्यार म पळी लाडली,बड़ा घरां जद ब्याही थी
दान दायजो, हाथी घोड़ा,दास दासियां ल्याई थी
सोना चाँदी, हीरा मोती,बाळद भर भर ल्याई थी
बीती बातां याद करूँ जद, हिवड़ो भर भर आवे है
माँ का जाया.....
# औऱ सगा न महल मालिया, टुटी टपरी नरसी न
औऱ सगा न माल मलीदा,रूखी,सूखी नरसी न
औऱ सगा न शाल दुशाला,फ़टी गुदड़ी नरसी न
देवरियो म्हानें ताना मारे,नणदल जीव जलावे है
माँ का जाया....
# तेरे भरोसे सेठ साँवरा,भोळो बाबुल आयो है
गोपीचन्दन और तूंबड़ा,साधां न संग ल्यायो है
घर घर माँगत फिरे सुरिया,म्हारौ मान घटायो है
डूब मरूँ पर घर नहीं जाऊं, बाबुल म्हनैं लजावे है
माँ का जाया......
# विकल होय जद नानी बाई,श्याम प्रभु न ध्यायो है
राधा रुक्मण संग लेयकर ,सेठ साँवरो आयो है
भात भरण न दान दायजो,बाळद भर भर ल्यायो है
सांवरिया न निरख बावळी, बातां यूं बतलावे है
माँ का जाया......
# कुंण से नगर पधारोला थे,कींण रा हो लनीहार जी
नानी बाई को भात भरण न,जास्यां नगर अंजारजी
नरसी भगत म्हारौ सेठ पुराणों,म्हारौ अन्नदातारजी
नानी बाई म्हारी धर्म बहिन यूं,सांवरियो समझावे है
माँ का जाया.....
# बात सुणी जद सांवरिया की,सारो दुखड़ो दूर हुयो
रँग बधावा गाती गाती,घर घर यो संवाद हुयो
कलाभवन थारी महिमा गावे,कद सयुं बाट उडीक रह्यो
विप्र रामअवतार हरि का,हरख हरख जस गावे है
माँ का जाया.....
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