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Uttar dikhne sun | उतर दिखण सूं जिओ | shadi ke geet

                           श्री
उत्तर दिखण सूं जिओ गांधी को आयो
आय उतरियो हरिय बड़ तळ
आय गांधी का,जिओ बैठ गांधी का
तोले गांधी को बेटो किस्तूरी
काहे री डांडी जिओ काहे रो तोलो
तोले गांधी को बेटो किस्तूरी
कुणाजी मुलावे,जिओ कुणा जी तुलावे
साँचा पितराँ र केसर अंग चढ़
बाबोजी मुलावे,जिओ बिरोजी तुलावे
साँचा.....
छोटी सी तलाई,जिओ, पाना फुलां छाई
आयो पितराँ रो लश्कर न्हाय ग्यो
न्हाया देई देवता,जिओ पितर संतोक्या
तोई रे तलाई म पाणी अंत घणूं
छोटी सी बुगचडी, जिओ कपड़ा सूं भरी
आयो,पितराँ रो लश्कर पेर ग्यो
पेरया देई देवता,जिओ पितर संतोक्या
तोई रे बुगचा म कपड़ा अंत घणा
छोटी सी बाटकडी जिओ कुंकुं केसर घोली
आयो पितराँ रो लश्कर चिरच ग्यो
चिरच्या देई देवता, जिओ पितर संतोक्या
तोई रे बाटकडी म केसर अंत घणूं
छोटो सो एक डब्बो,जिओ गहणा सूं भरियो
आयो पितराँ रो लश्कर पेर ग्यो
पेरया देइ देवता,जिओ पितर संतोक्या
तोई रे डब्बा म गहणा अंत घणा
चवदस के दिन आज्यो जिओ अमावस के दिन जाज्यो
थारा सेवगा रो वंश बधायज्यो
कुणाजी रा पोता,जिओ कुणा जी रा बेटा
किसडी मायड़ र ओदर लोटिया
दादोजी रा पोता जिओ बापूजी रा बेटा
माय सुगणी र ओदर लोटिया
भूखा भूखा आज्यो जिओ धाया धाया जाज्यो
थारे सेवगा री बेल बधाय ज्यो


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