श्री
गढ़ न कोटा सूं उतरी सरे,हाथ कंवल केरो फूल
शीश नारेलां छाईया सरे,बीणी बासग नाग ऐ
म्हारी चाँद गवरजा, भलां ऐ नादान गवरजा
रत्ना रा खम्भा दिखे दूर सूं, म्हानें आवे अचम्भो,
लौड़ी रे महलां राजन क्यूं गया
अरे,भंवारे,भँवरों फिरे, सरे,लीलवट आंगळ च्यार
आंखडल्या रतने जड़ी सरे,नाक सुवा केरी चांच जी।।1।।
बोलो,आनी, दुआनी चांदी की,जय बोलो महात्मा गांधी की
लाल रुमाल सिफ़ाइयों का जी,बोलो घर घर राज,लुगाइयों का
अरे होठ फ़रेवा रेखिया सरे,दांत दाड़म केरो बीज
मिसरायां चुने जड़ी सरे,जीभ कंवल केरो फूल जी।।2।।
कोई पोदीना रा पता,जिसमें घूम रहया कलकत्ता
छोटी सी एक राई जिसमें,घूम रही बम्बोई
अरे,मूँगफली सी आँगली सरे,बांह चम्पा केरी डाळ
अंगूठो रतने जडयो सरे,हथाळी रो बड़ो थाळ जी ।3।
करणीसिंह राजा,परमिट कटवाय दयो चीणी खांड को
म्हारौ भरमल भूखो, लाडू तो भावे,मोतीचूर का
अरे,हिवड़ो सांचे ढालियो,सरे छाती बजड़ किंवाड़
पसवाड़े बिजळ खीरे सरे,पेट पिंपळ केरो पान जी।4।
कलकत्ता चालो, लाखां पर लेखो पूरब देश में
बम्बोई हालो,गवरयां री मोजां बीकानेर में
अरे,हिरणख़ुडी सी पगथळी सरे,पंजो सठवा सुंठ
एडी चिलक आळसी सरे,गिरिये जी रो डोडो नेव जी।5।
बोलो उड़ो हंस पर चढ़ो गिगनारयां, ख़बरयां लाओ मेरे ईसर की
ख़बरयां लाओ मेरे ईसर की जी,बोलो गांठा घुळ रही रेशम की
अरे ,गवरल अभी गोखडे सरे,गज गज लाम्बा केश
ईसर आयो बाग में सरे, डोडो लग रह्यो नेग जी ।6।
गवरा दे गौरी,अलख सागर सूं भरला डोलची
पातलिया ईसर,पानिडा न जांवती न आवे लाजड़ी
अरे,कुंण तने घड़ी रे सिलावट,सरे कुंण तने लाल लुहार
कुंन्नाजी री ढीकरी सरे,कुणाजी री घर नार जी।7।
करणी सिंह राजा,परमिट कटवायड्यो चीणी खांड को
म्हारी गवरल आई,लाडू तो भावे मोतीचूर का
अरे,जन्म दियो म्हारी मावड़ी सरे,रूप दियो करतार
हेमाजळ जी री ढीकरी सरे,पातलिया ईसर घरनार जी।8।
बोलो ईसर फिरे इश्क में जी,गवरा को महल बताय दयो
गवरा को महल बताय दयो जी पुष्पन की सेज़ बिछाय दयो
पुष्पन की सेज बिछाय दो जी,मोतियन का तकिया लगाय दयो
अरे,पिण्डोंल्यां को माळीयो सरे,ज्यांमे देवळ केरो थांब
चढ़ती रा बाजे घुघरा सरे,उतरती री रमझोळ जी ।9।
चांदमल ढड्डे का लड़का रे,सूरजमल पंछी का पोता
ईये नवीं हवेली में पोढे गवरजा,खश खश का पंखा
अरे,महाराजा देसी दायजो सरे,सौ घोड़े असवार
घेर घुमालयो घाघरो सरे,ओढ़ण दिखणी रो चिर जी।10।
गवरा दे गौरी,अलख सागर सूं भरला डोलची
पातलिया ईसर पानिडा न जांवती न आवे लाजड़ी
ऊँचल सिंघासण बैठनु सरे,पंखे ढोलू बाळ
हाथ जोड़ बिनती करूँ सरे,लुळ लुळ लागूं थांरे पांव जी।11।
म्हारी चाँद गवरजा,भलां ऐ नादान गवरजा,रत्ना रा खम्भा दिखे दूर सूं
म्हांने आवे अचम्भो, लौड़ी र महलां राजन क्यों गया
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