* श्रीश्रियै नमः*
श्रीश्रीनिवासपरब्रम्हणे नमः
!श्रीमते रामनुजाय नमः!
लक्ष्मीनाथसमारंभा नाथयामुनमध्यमाम !
असमदाचार्यपर्यंनतां वन्दे गुरूपरंपराम् !
श्रीमन्नारायण नारायण नारायण नारायण मधुसूदन गोविंदहरे
श्रीमदरामानुज रामानुज रामानुज जय जय यतिराज गुरो
रामानुज अवतार मनोहर सुन्दर सुभग शरीरम्
अखिल लोक भव शोक विमोचन करुणाकर गम्भीरम्
जय रामानुज जय रामानुज जय रामानुज स्वामी
एसन को प्रभु दियो परमपद महाकुटिल खलकामी
जय रामानुज जय रामानुज जय जय करुणासिन्धो
कलिमलमथन परमपद दायक विपत्ति विमोचन बन्धो
कृष्णानन्द मुकुन्द मुरारि हरि वामन माधव गोविंदा
श्रीधर केशव राघव विष्णो, लक्ष्मीनायक नरसिंहा
श्री रामाच्युत मत्स्य वराह हरि कूर्म माधव बलिगिरिधारी
श्रेधरदेव जनार्दन कल्कि नरनारायण अघहारी
श्रीमन्नारायण नारायण नारायण !
बद्रीनारायण नारायण नारायण !!
विष्णु पुराण भागवत गीता,
वाल्मीकजी की रामायण !!श्री!! 1
चारिहुँ वेद पुराण अष्टदस,
वेद व्यास जी की परायण !!श्री!! 2
शिवसनकादि आदि ब्रम्हादिक,
सुमिर सुमिर भये पारायण !!श्री!! 3
श्यामल गात पीताम्बर सोहे,
विप्रचरण उरधारायण !!श्री!! 4
नारायण के चरण कमल पर,
कोटि काम छवि वारायण !!श्री!! 5
शंख,चक्र,गदा,पद्म विराजे,
गल कौस्तुभमणि धारायण !!श्री!! 6
खम्भ फाड़ हिरणाकुश मारयो,
भक्त प्रह्लाद उबारायण !!श्री!! 7
कश्यप ऋषी सें वामन होकर,
दण्ड कमण्डल धारायण !!श्री!! 8
बलि सें याच तीन पद पृथ्वी,
रूपत्रिविक्रम धारायण !!श्री!! 9
गज और ग्राह लड़े जल भीतर,
लड़त लड़त गज हारायण !!श्री!! 10
जौ भर सूंड रही जल बाहिर,
तब हरि नाम उच्चारायण !!श्री!! 11
गज की टेर सुनी रघुनन्दन,
आप पधारे श्री नारायण !!श्री!! 12
जल डूबत गजराज उबारयो,
श्री चक्र सुदर्शन धारायण !!श्री!! 13
सरयू के तीर अयोध्या नगरी,
श्री रामचन्द्र अवतारायण !!श्री!! 14
क्रीट मुकुट मकराकृत कुण्डल,
अदभुत शोभा धारायनण !!श्री!! 15
राम ,र लछमण, भरत शत्रुघ्न,
चार रूप तनु धारायण !!श्री!! 16
सरयू के निरे तीरे तुरंग नचावे,
धनुष बाण कर धारायण !!श्री!! 17
कोमल गात पीताम्बर सोहे,
उर वैजयन्ती धारायण !!श्री!! 18
बकसर जाय ताड़का मारी,
मुनि के यज्ञ किये पारायण !!श्री!! 19
स्पर्शत चरण शिला भई सुन्दरी,
बैठ विमान भई पारायण !!श्री!! 20
जाय जनकपुर धनुष को तोड्यो,
राजा जनक प्रण सारायण !!श्री!! 21
जनक स्वयम्बर पावन कीन्हों,
वरमाला हरि धारायण !!श्री!! 22
रामसियाजी की पड़त भांवरी,
देव सुमन वर्षारायण !!श्री!! 23
सीता ब्याह अवधपुर आये,
घर घर मङ्गला चारायण !!श्री!! 24
मात कौशल्या करत आरतो,
त्रिभुवन मङ्गला चारायण !!श्री!! 25
मात पिता की आज्ञा पाई,
चित्रकूट पगधारायण !!श्री!! 26
चौदह वर्ष वास वन कीन्हों,
सुरनर मुनि हित कारायण !!श्री!! 27
दण्डकवन प्रभु पावन कीन्हों,
ऋषि मुनि त्रास मिटारायण !!श्री!! 28
ऋषि मुनि को प्रभु दरशन देकर,
पंचवटी पग धारायण !!श्री!! 29
भोजपत्र की कुटी बनाई ,
मृग मारीच को मारायण !!श्री!! 30
योगी को रूप धरयो रावण ने,
सीता हर ले जारायण !!श्री!! 31
ऋषि मुनि को प्रभु दर्शन देकर,
शबरी के पग धारायण !!श्री!! 32
पंपा जाय बालिशर मारयो,
सुग्रीव को शोक निवारायण !!श्री!! 33
सागर ऊपर शिला तिराइ,
कपिदल पार उतारायण !!श्री!! 34
रावण के दस मस्तक छेदे,
राज विभीषण पारायण !!श्री!! 35
रामरूप होय रावण मारयो,
भक्त विभीषण तारायण !!श्री!! 36
राक्षस वंश विनाश कियो है,
पृथ्वी भार उतारायण !!श्री!! 37
लंका जीत अवधपुर आये,
राज्यतिलक प्रभु धारायण !!श्री!! 38
यमुना के निरे तीरे मथुरा नगरी,
श्री कृष्ण चन्द्र अवतारायण !!श्री!! 39
मथुरा में हरि जन्म लियो है,
गोकुळ में पग धारायण !!श्री!! 40
बालपने हरि पूतना मारी,
जननी की गति पारायण !!श्री !! 41
बालपने मुख मटिया खाई,
तीन लोक दर्शारायण !!श्री!! 42
मात जसोदा ऊंखळ बांध्यो,
यमला अर्जुन तारायण !!श्री!! 43
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे,
श्रवणंन कुण्डल धारायण !!श्री!! 44
यमुना के निरे तीरे धेनु चरावे,
मुख पर मुरली धरायण !!श्री!! 45
पैठ पाताल काली नाग नाथयो,
फण फण नृत्य करारायण !!श्री!! 46
वृन्दावन में रास रच्यो है,
सहस्त्र गोपी एक नारायण !!श्री!! 47
इंद्र कोप कियो वृज ऊपर,
बरसत मूसल धारायण !!श्री!! 48
डूबत ही वृज राख लियो है,
नख पर गिरिवर धारायण !!श्री!! 49
मात पिता की बन्दी छुड़ाई,
मामा कंस को मारायण !!श्री!! 50
कृष्ण रूप होय कंस पछाड्यो,
उग्रसेन कुल तारायण !!श्री!! 51
उग्रसेन को राजतिलक दियो,
द्वार बेतकर धारायण !!श्री!! 52
द्रुपद सुता की लज्जा राखी,
दुष्ट दुशासन हारायण !!श्री!! 53
दुर्योधन का मेवा त्यागे,
शाक विदुर घर पारायण !!श्री!! 54
शबरी के बेर सुदामा के तन्दुल,
रुचि रुचि भोग लगारायण !!श्री!! 55
अजामिल सुत हेतु पुकारे,
नाम लेत अघ तारायण !!श्री!! 56
अजामील गज गणिका तारी,
ऐसे पतित उद्धारायण !!श्री!! 57
जो नारायण नाम लेत है,
पाप होत सब छारायण !!श्री!!58
जो कोई भक्ति करे माधव की,
मात पिता कुल तारायण !!श्री!! 59
कूर्म होय ब्रम्हा वर दीन्हों,
श्री रँग रूप को धारायण !!श्री!! 60
श्री शेषाचल पर आप विराजे,
श्री वेंकटेश अवतारायण !!श्री!! 61
श्री विष्णु लोक में श्री देवीकूँ,
द्वय मन्त्र उच्चारायण !!श्री!! 62
निरहेतुक जग रचना कर कर,
भवसागर उतारायण !!श्री!! 63
जड़ चेतन का अंतर्यामी,
अखिल जग हितकारायण !!श्री!! 64
प्रथम पुत्र ब्रम्हा को सिरजे,
वेद मन्त्र उच्चारायण !!श्री!! 65
हयग्रीव होय वेद फिर लाये,
ब्रम्हा कष्ट निवारायण !!श्री!! 66
दैत्य को मार भूमि को लाये,
वराह रूप को धारायण!!श्री!! 67
परमपद छोड़ क्षिराब्धि आये,
सुरनर मुनि हितकाराण !!श्री!! 68
सिन्धु मथकर रत्न निकाले,
देवन कारज सारायण !!श्री!! 69
बद्रिकाश्रम में ध्यान लगाये,
अष्टाक्षर उच्चारायण !!श्री!! 70
श्री शेषाचल पर खड़ा दरश दे,
मनवांछित फल पारायण !!श्री!! 71
श्री कावेरी मध्य में शयन किये हैं,
श्री रंगरूप को धारायण !!श्री!! 72
श्री कांची में वरद राज विराजे,
ब्रम्हा कारज सारायण !!श्री!! 73
श्री यादवांचल फिर प्रकट होय कर,
दिल्ली सुता उद्धारायण !!श्री!! 74
वक्ष स्थल श्री लक्ष्मी विराजे,
श्री भुनीला हर नारायण !!श्री!! 75
वेद शास्त्र भारत रामायण,
सभी गात श्री नारायण !!श्री!! 76
वामन होय बलिराजा छलियो,
त्रिलोकी उद्धारायण !!श्री!! 77
भूतपुरी में शेष प्रकट भये,
रामानुज अवतारायण !!श्री!! 78
इंदौर नगर में आप विराजे,
श्री वेंकटेश प्रभुनारायण !!श्री!! 79
महाभारत में चरम मन्त्र को,
जगत हेतु उच्चारायण !!श्री!! 80
रामानुज यतिराज गुरो,
भवसागर सें पार करो !!श्री!! 81
जय रामानुज जय यतिराज,
आदिशेष,लछमण महाराज !!श्री!! 82
दिव्य गुणों का अंत नहीं है,
शेष पावे नहीं पारायण !!श्री!! 83
जहां जहां भीड़ पड़ी भक्तों में,
तहां तहां कारज सारायण !!श्री!! 84
नित्य प्रेम सें गान सुनावे,
कुटुम्ब सहित उद्धारायण !!श्री!! 85
श्री श्री चरणों का दास गाय यश,
जगत हेतु उद्धारायण !!श्री!!86
माधवदास आस रघुवर की,
भवसागर भये पारायण !!श्री!! 87
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