सुसरोजी थे,म्हारोडा माइत,कोई बैल जुता दयो
म्हे बालाजी न धोकस्यां
काहे री थे बोली बवड़ जात, कोई काहे रे कारणीय
बालाजी न धोकस्यो
बोली बोली गंठजोड़ री जात, कोई हालरिया र कारण
बालाजी न धोकस्यां
जेठ जी थे म्हारोडा माइत,कोई बैल जुता दयो
म्हे बालाजी न धोकस्यां
काहे री थे बोली बवड़ जात, कोई काहे रे कारणीय
बालाजी न धोकस्यो
बोली बोली गंठजोड़ री जात, कोई हालरिया र कारण
बालाजी न धोकस्यां
देवर जी थे म्हारोडा जी लाल,कोई बैल जुता दयो
म्हे बालाजी न धोकस्यां
काहे री थे बोली भावज जात, कोई काहे रे कारणीय
बालाजी न धोकस्यो
बोली बोली गंठजोड़ री जात, कोई हालरिया र कारण
बालाजी न धोकस्यां
सायब जी थे म्हारोडा भरतार,कोई बैल जुता दयो
म्हे बालाजी न धोकस्यां
काहे री थे बोली गौरी धण जात, कोई काहे रे कारणीय
बालाजी न धोकस्यो
बोली बोली गंठजोड़ री जात, कोई हालरिया र कारण
बालाजी न धोकस्यां
रुणझुण बैल जुड़ाय,कोई आप हाडती सैला मारू
होय रहया
चढ़िया चढ़िया ढ़लती सी रात कोई,दिन तो उगायो
पूनरासर धाम म
चाढया चाढया लिलोड़ा नारेळ कोई सवामण रो
चाडयो बालाजी र चूरमो
दीन्ही दीन्ही गंठजोड़ री जात, कोई झड़ूलो झपटायो
नान्ह बाळ रो
बैठ्यो बाबो तख्त बिछाय,लाल लँगोटो जी
तिलक सिंदूर रो
ठूँठयो बाबो पूनरासर रो देव,मन रा मनोरथ
बजरंग पुरिया
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