श्री
कान्हा,म्हारै घरां ले चालूं रे, पतली सी पीताम्बरी म
सिंया मरलो रे,कान्हा....
&ठण्डी ठण्डी बाळ चालसी,थर थर कांपे काया
खाटू वाले खारडे में,सिंया मरेलो भाया
थारा, दाँत कड़ाकड़ बोले रे,पतली सी....
$म्हारै घरां छ गुदडा रे भाया, ज्यांके सौ सौ कारी
एक ओढस्यां,एक बिछास्यां,रात काटस्यां सारी
कंयां नाके नाके डोले रे,पतली सी....
$माखन मिश्री तनै भावे,बाण पड़ी छ खोटी
म्हारै घरां छ बाजरा की ,रूखी सुखी रोटी
गुड़ को डलियो सागे लेल रे,पतली सी...
$आव आव तूं बेगो आज्या, पकड़ आँगली म्हारी
सरदी मरतां थर थर कांपा, बाट जोवंता थारी
दाता म्हारै सागे होले रे,पतली सी...
$हरदम थारी सेवा करसूं, नित उठ भोग लगासूं
धूप दीप नैवेद्ध चढ़ाकर, रोज आरती गासूं
सेवक चरणा चित धर बोले रे,पतली सी...लL
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