श्री
मैं तो हूं भक्तां को दास, भक्त म्हारी मुकुटमणी
$जो कोई भजे,भजूँ मैं वांकु ,हूं दासन को दास
सेवा करे करूं मैं सेवा,हो सच्चा विश्वास
यही तो मेरे मन में ठनी, मैं तो हूँ...
$जुठो खाउं,गले लगाऊं,नहीं जाति को ध्यान
आचार,विचार कछु नहीं देखूं,देखूं मैं प्रेम सनमान
शरण हित नारी बनी,मैं तो हूं...
$पगल्या चांपु,सेज बिछाउ,नोकर बनू हजाम
हांकूँ बैल बनु गढ़वालो,बिन तरख रखवाल
अलख काया लखता बनी,मैं तो हूं....
$अपनो प्रण बिसराय भक्त को पुरो प्रण मैं निभाऊं
भक्त हमारो, मैं भक्तन को,बेचे तो बिक ज्याऊँ
औऱ तो ज्यादा कहूँ मैं घनी,मैं तो हूं...
$गरुड़ छोड़,बैकुण्ठ त्याग कर नंगे पैरों धाओं
जहाँ जहां भीड़ पड़े भक्तां में, ताहि मैं दोड़यो ही जाऊं
खबर ना देउँ आपनी, मैं तो हूं...
$जो कोई भक्ति करे कपट सूं, उसको भी अपनाऊँ
साम दाम औऱ दण्ड भेद सें, सीधे रस्ते पे लाऊं
नकल की तो असल बनी,मैं तो हूं....
$जो कुछ बनी,बनै है जांमे, कर्ता मुझे ठहरावे
नरसौ हरिगुण चरणन चेरो,ओरां शीश नवावे
पति तो सीताराम धणी, मैं तो हूं...
$जो कोई भजे,भजूँ मैं वांकु ,हूं दासन को दास
सेवा करे करूं मैं सेवा,हो सच्चा विश्वास
यही तो मेरे मन में ठनी, मैं तो हूँ...
$जुठो खाउं,गले लगाऊं,नहीं जाति को ध्यान
आचार,विचार कछु नहीं देखूं,देखूं मैं प्रेम सनमान
शरण हित नारी बनी,मैं तो हूं...
$पगल्या चांपु,सेज बिछाउ,नोकर बनू हजाम
हांकूँ बैल बनु गढ़वालो,बिन तरख रखवाल
अलख काया लखता बनी,मैं तो हूं....
$अपनो प्रण बिसराय भक्त को पुरो प्रण मैं निभाऊं
भक्त हमारो, मैं भक्तन को,बेचे तो बिक ज्याऊँ
औऱ तो ज्यादा कहूँ मैं घनी,मैं तो हूं...
$गरुड़ छोड़,बैकुण्ठ त्याग कर नंगे पैरों धाओं
जहाँ जहां भीड़ पड़े भक्तां में, ताहि मैं दोड़यो ही जाऊं
खबर ना देउँ आपनी, मैं तो हूं...
$जो कोई भक्ति करे कपट सूं, उसको भी अपनाऊँ
साम दाम औऱ दण्ड भेद सें, सीधे रस्ते पे लाऊं
नकल की तो असल बनी,मैं तो हूं....
$जो कुछ बनी,बनै है जांमे, कर्ता मुझे ठहरावे
नरसौ हरिगुण चरणन चेरो,ओरां शीश नवावे
पति तो सीताराम धणी, मैं तो हूं...
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