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कृष्णा ओ कृष्णा,चित्तचोर....(krishna bhajan)

                                श्री
कृष्णा ओ कृष्णा,चित्तचोर हमारा कृष्णा
ये नटवर नागर है, प्रेम का सागर है,
 मुरली मनोहर है,सलोना सुँदर है
ये है भक्तों की आंखों का तारा,कृष्णा....
1 ऐसा बोले झूठ कि,इसका झूठ भी लागे प्यारा
   ऐसा चोर,पुकारे जिसको,हर आँगन हर द्वारा
   सबकी निंन्द उड़ाई देखो,सबका चैन चुरायो
   माखन खाकर बोले,मैया,मैं नहीं माखन खायो
   बड़ा ही नटखट है, नन्द का जोटा है
   ये जितना छोटा है, ये उतना खोटा है
   उठा रखा है, सिर पे गोकुल सारा,कृष्णा....
2  कालीदेह पर खेलण धायो,खेल खेल में नाग नथायो
   गोवर्धन गिरी नख पर धारयो,डूबत ही वृजराज उबारयो
बरसाने की राधिका,गोकुल को घनश्याम
दोंनो कछु ऐसे मिले, एक भये दोय नाम
एक भये दोय नाम
युगल छवि प्यारी है, सकल दुःख हारी है
राधे कृष्णा पे,ह्रदय बलिहारी है
तो सब मिल बोलो दोंनो का जयकारा,कृष्णा...
3गूंज रहा ब्रम्हांड में अब तो,स्वर उसकी मुरली का
  कृष्ण का दर्शन पाकर लागे, सबका दरशन फीका
  वृन्दावन का ग्वाला देखो,पहुंच गया अमरीका
  हर माथे पे लगा हुआ है हरे कृष्ण का टीका
सबको बाँधा है, सबको जीता है
कि अब तो हर कोई,कृष्ण रस पीता है
साँवले रंग ने सब पे जादू डारा
कृष्णा ओ...

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